HARYANA: थेड़ विस्थापितों के स्थायी आवास की जल्द से जल्द व्यवस्था करें सरकार: कुमारी सैलजा

चंडीगढ़: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा लोकसभा क्षेत्र से सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार और प्रशासन दोनों ने मिलकर सिरसा थेड़ विस्थापितों का जीवन नरक सा बना दिया है, इन विस्थापित 730 परिवारों को अस्थायी रूप से हाउसिंग बोर्ड फ्लैटों में बसाया गया है। जहां पर वे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, वे आज भी बिजली, पीने का पानी और सीवरेज को लेकर परेशान है।
कुमारी शैलजा ने कहा कि कभी हाउसिंग बोर्ड फ्लैटों को खाली कराने के लिए भेज देता है। कभी उन्हें एक फ्लैट के 17.50 लाख रुपये जमा कराने को कहा जाता है, परेशान करने के लिए बिजली कनेक्शन काट दिए जाते है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर कहा है कि पहले विस्थापित किए गए परिवारों को स्थायी आवास उपलब्ध करवाया जाए, हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में स्थायी आवास उपलब्ध करवाने के लिए कहा था न कि अस्थायी।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी शैलजा ने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक सिरसा का थेड़ है। जिसे केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। यह स्थल वर्तमान में पिछले कई वर्षों से लगभग 85 एकड़ क्षेत्र में 3000 से अधिक परिवारों के कब्जे में है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों के कारण जिला प्रशासन सिरसा ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से लगभग 31 एकड़ क्षेत्र में 750 से अधिक परिवारों को पहले ही हटाकर विस्थापित कर दिया है। इन 730 विस्थापित परिवारों को अस्थायी रूप से हाउसिंग बोर्ड के सिरसा के फ्लैटों में पुनर्वासित किया गया है। जिला प्रशासन और एएसआई. शेष 2300 से अधिक परिवारों को लगभग 54 एकड़ क्षेत्र से हटाने पर तुला हुआ है।
लोगों पर बनाया जा रहा हैं दबाव
शैलजा ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा है कि यह एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक है और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है, लेकिन विस्थापित 750 परिवारों द्वारा खाली की गई 31 एकड़ भूमि की खुदाई करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ऐसा कोई स्मारक है जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता है, बल्कि यह अभी भी शेष परिवारों को हटाने और शेष भूमि को खाली कराने के लिए दबाव बना रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है कि वे एएसआई को पत्र लिखे कि पहले 750 परिवारों को हटाने के बाद खाली की गई भूमि की खुदाई करवाएं और पता लगाएं कि क्या ऐसा कुछ है जिसे स्मारक के रूप में संरक्षित किया जा सकता है।