New Criminal Laws in India: भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में बहुत कुछ बदलने वाला है। आज यानी 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। ये तीनों कानून ब्रिटिश काल के कानूनों की जगह लेंगे। आज से 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्यायिक संहिता, 1989 में बनी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 में बने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ले लेगी। इन तीन कानूनों के लागू होने के बाद नागरिकों, पुलिस, वकीलों और अदालतों की कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव आएंगे।
गृह मंत्रालय के मुताबिक नए कानूनों में कुछ धाराएं बदली गई हैं, कुछ नई जोड़ी गई हैं और कुछ को खत्म भी किया गया है। आइए जानते हैं कि तीन नए आपराधिक कानूनों का देश के आम नागरिकों पर कितना असर होगा और न्याय प्रणाली में क्या बदलाव होंगे?
तीनों कानून में क्या-क्या नया है?
• ब्रिटिश कालीन CRPC में 484धाराएं शामिल थीं, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531धाराओं को शामिल किया गया है।
• इस नए कानून में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जुटाए गए साक्ष्यों (ऑडिया-वीडियो) को प्रमुखता दी गई है।
• अपराध के सिलसिले में कोई भी नागरिक देशभर में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकता है। 15दिनों के अंदर इसे संबंधित पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
• FIR दर्ज होने के 90दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होगी। 60दिनों के अंदर आरोप तय करने होंगे और सुनवाई पूरी होने 30दिनों के अंदर जजमेंट देना होगा।
• राजद्रोह कानून को खत्म करके देशद्रोह में बदल दिया गया है। पहली बार सरकार ने आतंकवाद की व्याख्या भी की है, यह अब तक किसी भी कानून में नहीं था।
• मॉब लिंचिंग के लिए इस कानून में उम्रकैद से लेकर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।
• पत्नी के साथ जबरन संबंध रेप नहीं माना जाएगा। इसके अलावा शादी का वादा कर संबंध बनाने को भी रेप की
कैटिगरी से बाहर किया गया है। इसके लिए अलग से धारा जोड़ी गई है, जिसमें अधिकतम 10साल की सजा हो सकती है।
• यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही करेगी। पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा।
आरोपियों को बरी करने के लिए याचिका दायर करने के लिए सात दिन का समय मिलेगा। न्यायाधीश को उन सात दिनों में सुनवाई करनी होगी और अधिकतम 120दिनों में मामले की सुनवाई होगी।
• छोटे-मोटे अपराधिक मामलों में समरी ट्रायल में तेजी लाई जाएगी। 3साल तक की सजा वाले मामलों में समरी ट्रायल अब मजिस्ट्रेट कर सकते हैं।
• 10साल या उससे अधिक, आजीवन एवं मृत्युदंड के दोषी प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित किए जा सकेंगे।
• घोषित अपराधियों की भारत से बाहर की सम्पत्ति को जब्त करने का नया प्रावधान होगा।
45दिन के अंदर आएगा फैसला
देश की अदालतों में तारीख पर तारीख व्यवस्था को खत्म किया जा रहा है। यानी नए कानून लागू होने से जल्द से जल्द न्याय मिलेगा। नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।